
मध्यप्रदेश में इस बार मानसून समय से पहले सक्रिय हो गया और एक ज़िले में तो बारिश ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। केवल 31 दिनों में यहां सालाना औसत बारिश का लगभग 90% पूरा हो चुका है। सामान्य औसत वर्षा जहां 816.3 मिमी मानी जाती है, वहीं अब तक 735.12 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है। अब सिर्फ़ 81.18 मिमी बारिश की जरूरत है ताकि पूरे साल का औसत आंकड़ा पूरा हो सके।
जुलाई में झमाझम बारिश का दौर
जून में हल्की फुहारों के बाद जुलाई की शुरुआत से ही भारी बारिश का सिलसिला शुरू हो गया, जिससे पूरे ज़िले में पानी की कोई कमी नहीं रही। पिछले साल इस समय तक सिर्फ 323.95 मिमी बारिश हुई थी, जबकि इस बार अब तक 411.17 मिमी अधिक वर्षा हो चुकी है।
नरवर में सबसे ज़्यादा बारिश
ज़िले की कुछ तहसीलों में तो बारिश औसत से भी ऊपर जा चुकी है। नरवर में अब तक 1061 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सबसे अधिक है। इसके अलावा करैरा में 866.9 मिमी, खनियाधाना में 747 मिमी, बैराड़ में 725 मिमी, बदरवास और पिछोर में 680-680 मिमी, पोहरी में 675 मिमी, कोलारस में 592.5 मिमी और ज़िला मुख्यालय पर 588.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई है।
कुछ क्षेत्रों में बीते 24 घंटे में तेज़ बारिश
बीते कुछ घंटों में बैराड़ में 112 मिमी और नरवर में 77 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
मड़ीखेड़ा डैम के गेट खोले गए
मड़ीखेड़ा डैम में जलस्तर बढ़ने के कारण दोपहर 12 बजे तक 6 गेट खोले गए थे। हालांकि जलस्तर घटने के बाद 4 गेट बंद कर दिए गए और 2 गेटों से अब भी 25 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। साथ ही 135 क्यूसेक पानी बिजली उत्पादन के लिए जारी है।
निष्कर्ष:
इस बार बारिश ने ज़िले को समय से पहले तरबतर कर दिया है। जहां किसान और ग्रामीण खुश हैं, वहीं प्रशासन को भी अब संभावित बाढ़ जैसी स्थितियों से सतर्क रहना होगा।
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